Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
Chalisa is actually a forty-verse prayer dedicated to a certain Hindu God or Goddess. The verses of the Chalisa glorify the acts and deeds in the deities. It contains verses praying to the Lord for ending sorrow within our life and provides peace, health and fitness, and prosperity.
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
It is made of forty verses (chalisa), penned from the Hindi language. The chalisa is structured inside of a poetic format and is extensively recited by devotees as a method to praise and search for blessings from Lord Shiva.
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई ।
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके Shiv chaisa हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥